बद्रीनाथ और केदारनाथ उत्तराखंड में स्थित महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक तीर्थ स्थल है, हिंदू धर्म के लिए इनका विशेष महत्व है| ऐसा माना जाता है कि बद्रीनाथ के दर्शन का परिणाम तब तक फलीभूत नहीं होता जब तक केदारनाथ का दर्शन ना किया जाए इसीलिए दर्शनार्थी पहले केदारनाथ का दर्शन करते हैं उसके बाद वह बद्रीनाथ के दर्शन करते है| इन दोने तीर्थ स्थलों को पाप से मुक्ति का और स्वर्ग की प्राप्ति का स्थान बताया जाता है| यह दोनों मंदिर उत्तराखंड के चमोली और रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हैं यह मंदिर चारों तरफ हिमालय की पहाड़ियों से घिरे हुए हैं, यह दोनों मंदिर वैष्णव और शैव संप्रदाय के लिए विशेष महत्वपूर्ण है|
केदारनाथ रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है| केदारनाथ धाम की महाभारत कालीन एक कथा प्रचलित है कि यहां पांडवों ने भगवान शिव की आराधना की थी और आज यहां जो मंदिर स्थापित है इसका निर्माण पांडवों के वंशज जन्मेजय ने कराया था| बाद में आठवीं शताब्दी के लगभग आदि गुरु शंकराचार्य ने इसका जीर्णोद्धार कराया था| केदारनाथ मंदिर मंदाकिनी नदी के पास स्थित है यह मंदिर समुद्र तल से 3562 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है| मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली में किया गया है, मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग स्थापित है इसके साथ ही यहां द्रोपती और पांच पांड्वो की मूर्ति भी स्थित है यह मंदिर केदारनाथ, भरतकुंड और खर्च कुंड नामक पहाड़ियों से घिरा हुआ है केदारनाथ मंदिर के अलावा यहां वासुकी ताल और गांधी सरोवर दर्शनीय स्थल है|
बद्रीनाथ चमोली जिले में स्थित है, यह मंदिर नर और नारायण नामक पहाड़ियों के बीच में स्थित है| हिन्दू धर्म ग्रंथों में भी इस स्थान की चर्चा की गई है, इनके अनुसार यहां भगवान विष्णु ने नर और नारायण के रूप में तपस्या की थी तभी से यह स्थान हिंदू धर्म अनुयायियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है ऐसा माना जाता है कि यहां जो मंदिर स्थापित है वह प्राचीन काल से है लेकिन भूकंप और भूस्खलन होने के कारण मंदिर का ढांचा टूट गया था, बाद में शंकराचार्य ने इसका जीर्णोद्धार कराया था और मंदिर के पास स्थित नारद कुंड में उनको एक मूर्ति मिली थी जो भगवान विष्णु की थी और वह शालिग्राम द्वारा निर्मित बनी इस मूर्ति को उन्होंने मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित किया था| यही मूर्ति आज भी वहां स्थित है, बद्रीनाथ मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है इस मंदिर में आज भी दक्षिण भारतीय ब्राह्मण ही पूजा करते हैं यह यहां की परंपरा है बद्रीनाथ धाम कई तरह से महत्वपूर्ण है यह भारत के चार धाम मंदिर जिनमें द्वारिका, पुरी, रामेश्वरम और बद्रीनाथ आते हैं उनमें है, और उत्तराखंड के चारधाम मंदिरों में से एक महत्वपूर्ण मंदिर है इसके अलावा पंच बद्री के पांच मंदिरों में से एक है
केदारनाथ के लिए हरिद्वार और ऋषिकेश से बस सेवा उपलब्ध होती है, हरिद्वार से बस द्वारा सोनप्रयाग तक की दूरी तय की जाती है यहाँ से गौरीकुंड 5 किमी की दूरी पर स्थित है वह भी गाड़ी से पहुंचा जा सकता है| यहाँ से केदारनाथ 16 किमी की दूरी पर स्थित है जिसकी यात्रा पैदल करनी पड़ती है, यहाँ गाड़ी जाने की सुविधा नहीं है | यह दूरी तय करने के लिए यात्री पालकी, खच्चर और हैलीकॉप्टर की सुविधा ले सकते है| बदरीनाथ जाने के लिए बहुत से रस्ते है लेकिन केदारनाथ से बदरीनाथ जाने के लिए गौरीकुंड से गुप्तकाशी, चोक्ता (चोपता), गोपेश्वर और जोशीमठ होते हुए 221 किमी सडक मार्ग यात्रा करके यहाँ पहुंचा जा सकता है|
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