हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा कुछ दिनों में प्रारंभ होगी, हर साल यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा अप्रैल से लेकर मई माह की एक निश्चित तिथि से शुरू होती है| दिवाली तक चलने वाली यह यात्रा दिवाली के अगले दिन कपाट बंद होने के साथ ही ख़त्म हो जाती है| चारधाम मंदिरों के कपाट खुलने की अलग-अलग तिथियां होती हैं एक विशेष मुहूर्त में इन मंदिरों के कपाट खोले जाते हैं| इस यात्रा का प्रारंभ यमुनोत्री से शुरू होकर गंगोत्री, केदारनाथ होते हुए बद्रीनाथ पर जाकर समाप्त होती है| चारधाम यात्रा में सबसे पहले यमुनोत्री मंदिर का कपाट खुलता है |
यमुनोत्री के कपाट अक्षय तृतीया को खोला जाता हैं| शीतकाल में यमुनोत्री से यमुना देवी की मूर्ति को खरसाली गांव में लाया जाता है| जब ग्रीष्म काल की शुरुआत के साथ यमुनोत्री के बर्फ पिघल जाते हैं तब मंदिर के कपाट खोला जाता है, फिर खरसाली गांव से यमुना देवी की डोली को धूमधाम से यमुनोत्री मंदिर में लाया जाता है | यमुनोत्री में मूर्ति लाये जाने के बाद मंदिर का कपाट दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया जाता है| इस वर्ष यमुनोत्री का कपाट 26 अप्रैल को खुलने का अनुमान है और दिवाली के बाद 16 नवम्बर तक बंद हो जायेगा |
गंगोत्री उत्तरकाशी में स्थित है यह गंगा नदी का उद्गम स्थल है यहाँ पर गंगा को भागीरथी के नाम से जाना जाता है| इसी स्थान पर राजा भगीरथ ने गंगा नदी को पृथ्वी पर लाने के लिए तपस्या की थी| गंगोत्री मंदिर के कपाट भी 6 महीने दर्शन के लिए खुला रहता है और शीतकाल में 6 महीने के लिए बंद रहता है| जब गंगोत्री का कपाट बंद हो जाता है तब गंगा देवी की डोली मुखबा गाँव लाया जाता और पुरे शीत ऋतू तक उनकी यहीं पूजा होती है, ग्रीष्म ऋतू के प्रारंभ होते ही गंगोत्री के कपाट खोलने की तयारी शुरू हो जाती है | इस वर्ष गंगोत्री का कपाट दर्शनार्थीयों के लिए 26 अप्रैल को खुलेगा और दिवाली के बाद बंद हो जायेगा|
केदारनाथ रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है इस मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने 8 वीं शताब्दी में बनवाया था | यह मंदिर मन्दाकिनी नदी के किनारे स्थित है, केदारनाथ मंदिर बारह ज्योर्तिलिंगो में से एक है, यहं भी शीत ऋतू में केदारनाथ की डोली उखीमठ के मंदिर में लाइ जाती है और वही उनकी पूजा की जाती है| ग्रीष्म ऋतू के प्रारंभ होते ही मंदिर के कपाट खोलने की तैयारी शुरू हो जाती है| इस वर्ष 29 अप्रैल को केदारनाथ का मंदिर यात्रियों के लिए खोला जायेगा और दिवाली के बाद बंद हो जायेगा |
बदरीनाथ मंदिर चमोली जिले में स्थित है यह चारधाम यात्रा के परम्परा के अनुसार यह यात्रा का अंतिम पड़ाव है| इस मंदिर का निर्माण भी शंकराचार्य ने कराया था यह भगवान् विष्णु का मंदिर है, मंदिर के अन्दर भगवान् विष्णु की शालिग्राम की एक प्रतिमा स्थापित है | शीत ऋतू में बदरीनाथ की मूर्ति जोशीमठ लाइ जाती है और यहाँ के नरसिंह मंदिर रख कर पूजा की जात्ती है| अप्रैल में बदरीनाथ धाम का कपाट खोला जाता है और प्रतिमा को यहाँ लाया जाता है| इस वर्ष बदरीनाथ मंदिर के कपाट 30 अप्रैल को दर्शनार्थियों के लिए खोला जायेगा और 25 अक्टूबर तक बंद कर दिया जायेगा |
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